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2001 :- मल्टीप्लायर के निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई थी, उत्पाद खेती से सम्बंधित है, तब उसका अनुसंधान खेती में ही होना चाहिए, इसलिए आज जहाँ कंपनी मुख्यालय है, वहां और उसके आजु बाजू के गावों में जमीन खरीदकर, उस पर अनेक सालों तक लगातार प्रयोग किये गए, बहोत सारे उत्पादनों का अनुसंधान हुआ,
2009:- "कृष्णा एग्री सायंस" के नाम से भागीदारी संस्था बनाकर उत्पादन किसान भाइयों तक पहुंचाने का कार्य किया, उत्पादनों को जबरदस्त प्रतिसाद मिला, भागीदारी संस्था को, ARS एग्री सायंस प्रा.लि.नाम से कंपनी में परिवर्तित करना पड़ा.
2014:- कंपनी सिर्फ १ उत्पादन चाहती थी, जो हमारी ख़राब हो चुकी मिट्टी को सुधार दे, कंपनी सिर्फ मिट्टी में सुधार के लिए उत्पादन बनाना चाहती थी, वह बनकर तैयार हुआ
मल्टीप्लायर किसान भाइयों तक पहुँच पाया, परन्तु इसे आप तक पहुंचाने के कार्य में सैकड़ों लोग अविरत कार्यरत थे.
"कृष्णा एग्रीबिजनेस डेवलपमेंट प्रायवेट लिमिटेड कंपनी" की स्थापना की गई, किसान भाइयों तक उत्पादन पहुंचानेवाले सभी प्रतिनिधियों को, उनके द्वारा किये गए कार्य के लिए, जिंदगी भर पैसा देते रहने की व्यवस्था बनाई, उनके बाद उनके वारिस को, उसके बाद वारिस के वारिस को पैसा मिलता रहे, मतलब पैसा मिलने का क्रम कभी ना रुके, पैसा प्राप्त करने के लिए परिवार का योगदान जरुरी नहीं, आपका भी योगदान जरुरी नहीं, आप चाहें जितने दिन कंपनी का कार्य करें, जितना काम आपने आगे बढ़ाया है, आपके काम बंद कर देने के बाद कंपनी उसे चलाती रहेगी, पैसा आपके खाते में जमा होता रहेगा. आप कृष्णा एग्रीबिजनेस डेवलपमेंट प्रायवेट लिमिटेड कंपनी से जुड़ते ही कंपनी के परिवार के सदस्य बन जायेंगे.
जब तक किसान भाई रासायनिक खाद नहीं डालता था, तब खेती में उत्पादन कम मिलने की समस्या नहीं थी, किटक तथा रोगों का प्रकोप नहीं था, प्रकृति ने विविध जीव योनियों से लेकर वनस्पती तक के भोजन की व्यवस्था बनाई है, इसीलिए जंगल में वनस्पती को रासायनिक खाद डालने नहीं जाना पड़ता, प्रकृति की सभी व्यवस्थाएं आटोमेटिक कार्य करती हैं, जहाँ जंगल कम करने की कोशिश की गई, वहां बारिश कम होती है, प्रकृति को वह सब प्रिय है जो प्रकृति ने दिया है, रसायन जिस प्रकार मनुष्य के लिए हानिकारक हैं, उसी प्रकार प्रकृति को भी अप्रिय हैं, हमने मिट्टी में रसायन डालकर मिट्टी से फसलों को भोजन प्रदान करनेवाली सिस्टिम को अकार्यरत कर दिया, इसलिए जंगल की वनस्पती को बिनामूल्य भोजन मिलता है, परन्तु हमारी फसलों को नहीं मिलता|
मिटटी को बलवान बना के कृषि उप्ताद को बढ़ाना ।