श्री शिवाजी शिरगिरे सर की कलम से.................
एसोसिएट डायरेक्टर, कृष्णा बिजनेस डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड.
मेरा शिक्षण मास्टर ऑफ़ सोशल वर्क (MSW) हुआ है, में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में जॉब कर रहा था, में मुंबई से हूँ, पेमेंट अच्छा था, बैंक अच्छी थी, परन्तु मेरा जॉब में मन नहीं लग रहा था, में कुछ ऐसा करना चाह रहा था, जिससे दो पैसे कम मिलें परन्तु समाज सेवा हो, मैंने जॉब छोड़ दिया और महाराष्ट्र के भंडारा को अपना निवास स्थान बनाया, में शहर में नया था, धीरे-धीरे दोस्त बनने लगे, एक कंपनी के कृषि उत्पाद के सेल की ऑफर मैंने स्वीकार की और किसान भाइयों के खेतों पर जाने लगा, धीरे-धीरे खेती समस्या से अवगत होने लगा, रासायनिक खादों का इस्तेमाल मिट्टी का बंजर होना, जहरीली दवाओं का छिड़काव, मानव शरीर पर उसके दुष्परिणाम, यह सब जानने के बाद यही विचार आता था की, काश ऐसा कोई अनुसंधान हो, जिसकी मदद से किसान भाई आर्गनिक मतलब नैसर्गिक खेती कर सके, मिट्टी उपजाऊ बनने के साथ नागरिकों के आरोग्य का भी रक्षण हो सके.
ईश्वर ने मेरी इच्छा पूरी की, एक दिन मुझे मल्टीप्लायर तकनीक की खेती की जानकारी मिली, पता चला की, इसका इस्तेमाल करनेवाले किसान भाई की मिट्टी उपजाऊ होकर तीन गुना तक बढ़ा उत्पादन दे सकेगी, रासायनिक खाद अथवा रासायनिक दवाओं के इस्तेमाल की आवश्यकता नहीं रहेगी, खेती से प्राप्त उत्पादन बिक्री की सम्पूर्ण रकम किसान भाई की इनकम रहेगी, किसान सुखी और समृद्ध बनेगा. मैंने इसकी सत्यता को परखने के लिए कंपनी मुख्यालय में व्हिजीट किया, प्रॉडक्ट बेहतरीन और कंपनी भी सच्ची लगी, मुझे बताया गया की, सात साल के बाद खेती से नैसर्गिक उत्पादन मिलेगा, कुछ भी मतलब "मल्टीप्लायर" भी डालनी की आवश्यकता नहीं रहेगी.
काम की शुरुवात अच्छी रही, जिस किसान भाई को "मल्टीप्लायर" देता था, वह किसान भाई लहलहाती फसल देखकर और प्रॉडक्ट की खरीदी करता, जैसे-जैसे विश्वास बढ़ता जाता, सभी फसलों में इस्तेमाल करने लगता, रिश्तेदारों को मित्रों को "मल्टीप्लायर" की जानकारी देता, वो भी खरीदी करने लगते, फिर वो उनके रिश्तेदार तथा मित्रों को जानकारी देते, मेरा अनुभव यह रहा की, मेरे एक-एक ग्राहक ने मुझे ५० से ज्यादा ग्राहक दिए, जब कोई प्रॉडक्ट खुद बिकने लगे तब आप उसकी बिक्री के वॉल्यूम का अंदाजा नहीं लगा सकते.
मेरे ग्राहकों की संख्या बढ़ती जा रही थी, मेरे बिजनेस पार्टनर की संख्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी, सीनियर्स का सपोर्ट लगातार मिल रहा था, परन्तु फील्ड पर जाना लगभग बंद हो गया था, यही समय था कंपनी ने कॉल सेंटर शुरू किया, मेरे बहुतांश ग्राहक और बिजनेस पार्टनर को कॉल सेंटर से जानकारी दी जाने लगी, अब मैंने फिर से फील्ड पर जाना शुरू किया. कंपनी मुख्यालय में जाकर ट्रेनिंग ली, अब मेरा बिजनेस भंडारा जिले की हदों को पार करता हुआ, सम्पूर्ण महाराष्ट्र में फ़ैल गया.
इस बीच कोरोना का आगमन हुआ, लॉकडाउन लग गया, शुरुवात में ऐसा लगा की, अब सब कुछ स्थिर हो जायेगा, परन्तु कुछ ही दिनों में, भारत सरकार से कंपनी शुरू करने की परमिशन मिल गई, कंपनी की स्वयं की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था शुरू हो गई, मुझे खेतों में जाकर किसान भाइयों से मिलने की परमिशन मिल गई, सभी सीनियर्स का सपोर्ट मिल रहा था, कंपनी ने ऑनलाइन ट्रेनिंग शुरू की, मैंने नए बिजनेस पार्टनर बनाना प्रारंभ किया, नए बिजनेस पार्टनर तथा जिन्होंने कंपनी मुख्यालय जाकर ट्रेनिंग नहीं ली थी, सभी ने ऑनलाइन ट्रेनिंग लेकर खुद को और ज्यादा काबिल बनाया, यही वो समय था, जिसने मुझे सोशल मीडिया पर एक्टिव किया, अब में महाराष्ट्र नहीं, सम्पूर्ण भारत में "मल्टीप्लायर" बेचने लगा.
काम बढ़ने के साथ इनकम बढ़ने लगी, पहले पुराने घर को नया बनाया, आलिशान कार खरीदी की, फिर प्राइम लोकेशन में बड़ा प्लॉट खरीदी किया, फिर बड़ी SUV गाडी खरीदी की, फिर नए प्लॉट पर आलिशान बंगले के साथ ब्रांच ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर बनाया, इस बिजनेस ने मेरे किसान भाइयों को कर्ज मुक्त बनाया, उनको आर्थिक संपन्न बनाया, प्रॉडक्ट बेचकर पैसा तो सभी कमाते हैं परन्तु मुझे इस बिजनेस से पैसे के साथ सन्मान मिला, जो शायद दुनिया के किसी बिजनेस में नहीं मिलता.मेरे किसान भाई उनकी खेती नैसर्गिक की दिशा में बढ़ने, उत्पादन बढ़कर मिलने और उनकी आर्थिक सम्पन्नता का श्रेय मुझे देते हैं.
कृष्णा बिजनेस डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड के साथ जुड़ने का निर्णय सही साबित हुआ, बेहतरीन प्रॉडक्ट होने के कारण आसानी से बेचा जा सका, सीनियर्स का सपोर्ट, कंपनी का सम्पूर्ण सपोर्ट, मेरे बिजनेस पार्टनर का मुझ पर विश्वास तथा मेरे परिवार का सपोर्ट और सबसे महत्वपूर्ण किसान भाई जिन्होंने ना सिर्फ स्वयं इस्तेमाल किया, दूसरों को भी इस्तेमाल कराया, इन सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, आभार. सफलता कदम चूमने लगी है परन्तु अभी तो आर्गनिक भारत बनाने की शुरुवात हुई है, हम सभी को कड़ी मेहनत करना है, अभी तो सफर बहुत लम्बा है, जब तक भारत की इंच-इंच भूमि आर्गनिक नहीं बन जाती, कोई पड़ाव नहीं रहेगा, आप सभी का सहकार्य इसी तरह मिलता रहेगा, इस कामना के साथ आप सभी का फिर से एक बार धन्यवाद.